GBS यानी गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है? जानें, इसके लक्षण और इलाज क्या है

GBS यानी गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है? जानें, इसके लक्षण और इलाज क्या है
Unsplash GBS गिलियन-बैरे सिंड्रोम
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हाल ही में  महाराष्ट्र, पूने में एक दुर्लभ बीमारी फैल रही है और वो है  गिलियन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) यानि GBS।  इसके 100 से ज्यादा मामले अब तक रिपोर्ट हो चुके हैं और कई मौते भी हो चुकी हैं। ये समस्या बड़ा रूप लेती दिखाई दे रही है ऐसे में ये जानना बेहद ज़रूरी हो गया है की इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी ली जाये ताकि इससे बचाव किया जा सके। तो सबसे पहले जानते हैं क्या GBS यानी गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है, इसके लक्षण क्या है, इत्यादि। GBS or Guillain-Barré syndrome

GBS यानी गिलियन-बैरे सिंड्रोम क्या है?

गिलियन-बैरे सिंड्रोम-Guillain-Barré Syndrome ( ghee – yan – barre) एक दुर्लभ तंत्रिका संबंधी विकार है। जिसमे शरीर का इम्यून सिस्टम, जो बीमारियों से बचाता है, अचानक शरीर को ही अटैक करना शुरू कर देता है। यानि ये एक ऑटो इम्यून डिसऑर्डर है। इसका डायरेक्ट प्रभाव तंत्रिकाओं की सुरक्षात्मक आवरण  यानी माइलिन आवरण पर होता है, जो ब्रेन और बॉडी के मशल्स के बीच सिगनल को बाधित करता है। इसी वजह से गंभीर मामलों में व्यक्ति पूरी तरह से पैरालाइज़्ड भी हो सकता है। 

इससे व्यक्ति को हाथ पैरों में झनझनाहट, मांसपेशियों में कमजोरी, बोलने, सांस लेने में, चलने में, खाना निगलने में, स्टूल पास करने में में या रोज की आम चीजों को करने में दिक्कत आती है। यह स्थिति समय के साथ और खराब हो सकती है। जिससे व्यक्ति का शरीर पैरालाइज भी हो सकता है। GBS or Guillain-Barré syndrome

गिलियन-बैरे सिंड्रोम-GBS के लक्षण क्या है?

गिलियन-बैरे सिंड्रोम-GBS के निम्नलिखित लक्षण है:-

  • हल्की कमजोरी या झुनझुनी सनसनी
  • हाथ – पैरों में झुनझुनी या सुन्नता 
  • खाना निगलने में परेशानी होना
  • चलने फिरने में दिक्कत
  • बोलने में कठिनाई
  • सांस लेने में समस्या
  • विज़न में समस्या होना
  • समन्वय या संतुलन बनाने में दिक्कत होना
  • हल्की मांसपेशियों में कमज़ोरी
  • पीठ के निचले हिस्से या पैरों में दर्द होना

गंभीर मामलों में.

  • मांसपेशियों का पैरालिसिस जिसमें चेहरा, हाथ और पैर में पैरालिसिस हो सकता है।
  • अगर श्वसन मांसपेशियां प्रभावित हो जाएं, तो सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और गंभीर मामले में वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ सकती है।
  • इसके अलावा मूत्राशय पर नियंत्रण बिगड़ सकता है, जिसमें पेशाब रोकना मुश्किल हो सकता है
  • पाचन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं
  • यहां तक ​​कि अनियमित दिल की धड़कन और निम्न रक्तचाप या गंभीर हृदय समस्याएं भी हो सकती हैं।
  • अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी पड़ सकती है।

मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, जीबीएस 1 लाख लोगों में से सिर्फ 1-2 को होता है, लेकिन अगर गंभीर मामले हो जाएं तो ये जीवन के लिए खतरा भी हो सकता है। फिलहाल, तो ये दुर्लभ समझी जाने वाली समस्या महाराष्ट्र में तेजी से फेल हो रही है। GBS or Guillain-Barré syndrome

यह भी पढ़ें – HMPV वायरस के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

गिलियन-बैरे सिंड्रोम-GBS होने के कारण क्या है?

अब बात करते हैं कि जीबीएस  गिलियन-बैरे सिंड्रोम  क्यों होता है? GBS के होने के कारणों की बात की जाए यो इसका सटीक कारण अब तक पता नहीं लग पाया है। फिलहाल महाराष्ट्र में कई मामले एक ही क्षेत्र से आए हैं तो अंदाज़ा लगाया जा रहा है की ये पानी के दूषण की वजह से फैला है। लेकिन डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने कुछ सामान्य ट्रिगर्स की पहचान की है, क्या हैं जो इम्यून सिस्टम को ओवररिएक्ट करना पर मजबूर करते हैं, जैसे कोई  हाल ही में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण:  रिसर्च के मुताबिक, 60% मामलों में जीबीएस किसी संक्रमण के बाद होता है, जैसे, काम्पिलोबेक्टर बैक्टीरिया – जो फूड पॉइजनिंग और डायरिया का कारण होता है। इन्फ्लूएंजा वायरस, सामान्य फ्लू या वायरल संक्रमण के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला हो सकता है। स्टडी में पाया गया है कि कुछ लोगों को कोविड-19 या जीका वायरस के बाद जीबीएस भी विकसित हुआ है।

सर्जरी या आघात: अगर आपने कोई बड़ी सर्जरी की है या हाल ही में शारीरिक चोट का सामना किया है, तो कभी-कभी प्रतिरक्षा प्रणाली असामान्य रूप से प्रतिक्रिया करने लगती है जो जीबीएस का जोखिम हो सकता है। ऐसा कम ही होता है। ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे ल्यूपस या रूमेटॉइड आर्थराइटिस वाले लोगों में भी जीबीएस होने का मौका थोड़ा ज्यादा होता है। GBS or Guillain-Barré syndrome

जीबीएस के लिए टेस्ट कौन से हैं?

अगर किसी को जीबीएस के लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट करा सकते हैं – जैसे

  • तंत्रिका चालन अध्ययन यानी NCS – ये टेस्ट जांच करता है कि मस्तिष्क से मांसपेशियों तक सिग्नल सही से जा रहे हैं या नहीं।
  • लंबर पंक्चर यानी स्पाइनल टैप- इसमे स्पाइनल फ्लूइड का टेस्ट किया जाता है जो जीबीएस का कन्फर्मेशन दे सकता है।
  • MRI या CT scan – ये दूसरी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों पता करने के लिए किया जाता है।

जीबीएस (GBS) का स्थाई इलाज क्या है?

तो आपको बता दें कि फ़िलहाल जीबीएस का कोई गारंटीशुदा इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी पता लगने और इलाज से रिकवरी तेजी से हो सकती है। जैसे- 

  • अंतःशिरा इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी यानी IVIG – ये एंटीबॉडी का इन्फ्यूजन होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत करता है।
  • प्लाज्मा एक्सचेंज यानि प्लास्मफेरेसिस – इसमे मरीज के प्लाज्मा को फिल्टर करके हानिकारक एंटीबॉडीज को हटाया जाता है। ये डायलिसिस जैसा प्रोसीजर होता है।
  • उसके बाद फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन– गंभीर मामलों में मसल्स को वापस सही करने के लिए थेरेपी जरूरी होता है।

90% लोग GBS से रिकवरी कर लेते हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक होने में 3-12 महिने लग सकते हैं, यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। आपको बतादें कि GBS संक्रामक नहीं होती है, यह छूने से नहीं फैलती है। GBS or Guillain-Barré syndrome 

जीबीएस (GBS) को फैलने से कैसे रोके?

अब सबसे जरूरी बात, GBS को फैलने से कैसे रोके? किन बातों का ख्याल रखें:-

GBS का मुख्य कारण का अभी तक पता नहीं चला है। इसलिए इसको रोकपाना बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए आप कुछ सावधानियां बरत सकते हैं:-

  • सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आसपास साफ-सफाई बनाए रखें।
  • हाथो का समय समय पर धोते रहें, शारीरिक हाइजीन भी बनाएं रखें।
  • इम्यूनिटी मजबूत रखने के लिए हेल्दी डाइट का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
  • यदि किसी वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद कमजोरी महसूस हो रही है तो डॉक्टर से परामर्श करें।
  • यदि वैक्सीनेशन के बाद कमजोरी हो रही है तो तत्काल प्रभाव से डॉक्टर को दिखाएं।
  • पानी को गर्म करने के बाद ठंडा होने पर पीएं और खाने को पूरी तरह से पकने दें।

अगर आपको मांसपेशियों में दर्द है या फिर अचानक कमज़ोरी महसूस होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

सक्रिय रहें , रेगुलर एक्सरसाइज करें, इम्युनिटी स्ट्रोंग रखने पर फोकस रखें। इन सभी बातों का ध्यान रखें और सेफ रहें।


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