नेचुरल remedies की दुनिया में अगर कोई ऐसी जड़ी-बूटी है जो सच में हर बीमारी का इलाज मानी जाती है, तो वो है निर्गुंडी । इसे Five-leaved chaste tree भी कहा जाता है क्यूंकि इसमें पांच पत्ते ग्रुप में होते हैं जो देखने मैं भी काफी खुबसूरत लगते हैं | तो आज के वीडियो में इसी पर बात करेंगे और जानेंगे की आयुर्वेद में क्यों इसे सर्व रोग निवाराणी यानी हर रोग का निवारण करने वाली जड़ी-बूटी का नाम दिया गया है ….चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं की ये जडीबुटी आपके किस काम आ सकती है।
नमस्कार में दीपिका और आप देख रहे हैं जीवन कोष …जहाँ होती है आपकी और हमारी सेहत की बात ….
दोस्तों, निर्गुंडी एक aromatic shrub है, यानि झाडी की तरह उगती है और इसमें अच्छी खुशबू भी आती है इसीलिए इसे अक्सर लोग अपने गार्डन में लगाना पसंद करते हैं।
ये इंडिया के गर्म इलाकों में ज्यादा पाया जाता है, इसकी खासियत इतनी है कि अगर आप अपने health को naturally boost देना चाहते हैं, तो निर्गुंडी आपके लिए एक बेहतरीन option हो सकता है। आयुर्वेद में तो इसका इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है | इंडिया के अलग-अलग राज्यों और भाषाओं में निर्गुंडी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसका Scientific name – Vitex negundo (वाईटेक्स नीगुंडों) है…इसके अलवा इसे सम्भालू या शिवारी, निसिन्दा और शेफाली नाम से भी जाना जाता है | ayurvedic stores में ये आपको निर्गुन्डी के नाम से आसानी से मिल जाती है | ना मिले तो लिंक आपको नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जायेगा , आप वहां से भी ले सकते हैं | इसकी पहचान इसके 5 पत्तों का ग्रुप है। चलिए जानते हैं, निर्गुंडी के फायदे।
निर्गुंडी के फायदे
निर्गुंडी के फायदे निम्नलिखित है:-
- आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप निर्गुंडी का powder दिन में दो बार consume करें, या फिर इसका paste प्रभावित जगह पर लगाएँ, तो arthritis जैसी problem में काफी relief मिलता है। दर्द और stiffness कम हो जाती है क्योंकि इसमें वात balancing property होती है।
- सिर्फ इतना ही नहीं, निर्गुंडी की जड़ का powder, piles जैसी समस्या में भी बहुत helpful माना गया है। ये inflamed tissue की irritation को कम करके आराम पहुँचाता है।
- निर्गुंडी सिर्फ health के लिए ही नहीं, बल्कि बालों की growth के लिए भी बेहद फायदेमंद मानी जाती है। अगर आप निर्गुंडी के पत्तों से बने तेल को तिल के तेल के साथ मिलाकर scalp पर massage करें, तो समय से पहले आ रहे सफ़ेद बालों की समस्या को control करने में मदद मिलती है और scalp infections से भी राहत मिलती है। यानी ये आपके बालों को naturally strong और healthy बना सकती है।
- लेकिन हाँ, एक छोटी सी सावधानी ज़रूर रखें। कुछ cases में निर्गुंडी का इस्तेमाल करने से stomach upset या फिर हल्के-फुल्के skin rashes हो सकते हैं। इसलिए इसका use करने से पहले अपने body reaction को ज़रूर observe करें।
- चलिए जानते हैं निर्गुन्डी Rheumatoid Arthritis में कैसे मदद कर सकती है …. Rheumatoid Arthritis को आयुर्वेद में आमवात कहा जाता है…ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें joints में सूजन, दर्द और stiffness जैसी problems दिखाई देती हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार, आमवात तब होता है जब शरीर में वात दोष असंतुलित हो जाता है और साथ ही शरीर में Ama यानी अधूरा पचा हुआ toxic पदार्थ जमा होने लगता है। इसकी शुरुआत होती है एक कमजोर digestive fire से। जब हमारी अग्नि यानी पाचन शक्ति सही से काम नहीं करती, तो खाना पूरी तरह से digest नहीं हो पाता और उससे बनने वाले toxins, Ama के रूप में शरीर में जमा होने लगते हैं। यही Ama joints तक पहुँचकर दर्द और सूजन पैदा करता है।
निर्गुंडी कैसे काम करती है?
अब सवाल ये है कि इस समस्या में निर्गुंडी कैसे काम करती है? दरह्सल, निर्गुंडी में पाई जाती है वात balancing और उष्ण यानी गर्म तासीर वाली properties। ये हमारे digestion को improve करती है, पाचन अग्नि को तेज करती है और शरीर में नए Ama के बनने से रोकती है। इतना ही नहीं, ये पहले से जमा हुए Ama को भी धीरे-धीरे eliminate करने में help करती है। यानी अगर simple words में कहें, तो निर्गुंडी का इस्तेमाल करने से joint pain, swelling और stiffness जैसे आमवात के symptoms काफी हद तक कम हो सकते हैं और patient को मिलती है natural राहत।
- खाँसी यानी Cough एक बहुत ही common problem है | ऐसे में निर्गुंडी आपकी मदद कर सकती है। इसमें पाई जाती है कफ balancing और उष्ण यानी गर्म तासीर वाली properties। ये जमा हुई बलग़म को बाहर निकालने में help करती है और नई बलग़म बनने से रोकती है।
- अब बात करते हैं एक और serious disease की – और वो है Epilepsy यानि मिर्गी … जिसे आयुर्वेद में अपस्मार कहा जाता है। दोस्तों, Epilepsy में patient को अचानक seizures आते हैं, जिसमें body parts uncontrollably झटके खाने लगते हैं। कई बार तो patient बेहोश भी हो जाता है।
- आयुर्वेद के अनुसार, Epilepsy में तीनों dosh – वात, पित्त और कफ disturb होते हैं, लेकिन सबसे बड़ा role होता है वात दोष का, क्योंकि ये directly हमारी nerves को affect करता है। यहीं पर निर्गुंडी फिर से काम आती है। इसमें होती हैं वात balancing और मेध्य यानी brain tonic जैसी properties। ये हमारी nerves को relax करती है, brain को calm करती है और आगे होने वाले seizures को रोकने में मददगार होती है।
- चाहे बात हो खाँसी जैसी common problem की, या फिर Epilepsy जैसी गंभीर बीमारी की – निर्गुंडी दोनों ही situations में natural राहत दे सकती है।
- जब भी हम किसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी की बात करते हैं, तो एक बहुत ज़रूरी सवाल हमेशा आता है – इसे कितनी मात्रा में और कैसे लेना चाहिए?
निर्गुंडी की सही डोज और इस्तेमाल करने का तरीका क्या है?
- जानते हैं निर्गुंडी की सही dosage और इस्तेमाल करने का तरीका। आयुर्वेद में निर्गुंडी की तीन common forms यूज़ की जाती हैं – juice, powder और capsules।
- अगर आप निर्गुंडी का रस लेना चाहते हैं, तो इसकी मात्रा है दिन में लगभग 10 से 20 ml ही लें | निर्गुंडी पाउडर की मात्रा करीब 1.5 से 3 ग्राम एक दिन में होनी चाहिए, उससे ज्यादा नहीं , और अगर आप इसके capsules use कर रहे हैं, तो दिन में एक कैप्सूल, दो बार लेना है।
- अगर आपको cough की problem है, तो आप निर्गुंडी का leaf juice ले सकते हैं, लगभग 10–20 ml रस दिन में दो बार, खाने के बाद लें। इसे daily लेने से खाँसी धीरे-धीरे control में आ जाती है।
- अगर आपको rheumatic pain या swelling की problem है, तो powder form ज्यादा असर करता है।
- लगभग 3–6 ग्राम निर्गुंडी पाउडर, गुनगुने पानी के साथ consume करें। इसे रोज़ाना लेने से joint pain और swelling में आराम मिलेगा। और अगर आप busy lifestyle में हैं और powder या juice prepare करना मुश्किल लगता है, तो capsules सबसे आसान option है।
- बस दिन में एक कैप्सूल, दो बार, खाने के बाद लें। ये आपके body में होने वाले generalized pain से राहत देगा।
- joints का दर्द यानी Arthritic Pain आजकल बहुत common हो गया है। चाहे वो Osteoarthritis हो या फिर Rheumatoid Arthritis, दोनों ही conditions में joints में दर्द और stiffness महसूस होती है। आयुर्वेद के अनुसार ये समस्या तब बढ़ती है जब हमारे शरीर में वात दोष असंतुलित हो जाता है। ऐसे में मददगार साबित होती है निर्गुंडी । इसमें मौजूद वात balancing property joint pain को कम करने में help करती है। अगर आप निर्गुंडी की fresh पत्तियों का paste बनाकर सीधे प्रभावित हिस्से पर लगाएँ, तो दर्द और सूजन दोनों से natural relief मिलता है।
- अब बात करते हैं एक और common problem की – और वो है समय होने वाले सफ़ेद बाल यानि premature Grey Hair …दोस्तों, सफ़ेद बाल होने के पीछे अक्सर कफ दोष का imbalance responsible माना जाता है। ऐसे में regular hair care में निर्गुंडी का तेल बहुत effective साबित होता है। अगर आप scalp पर निर्गुंडी oil से massage करें, तो बालों की premature greying को रोकने में help करती हैं।
- इतना ही नहीं, ये आपके बालों को मज़बूत, healthy और shiny भी बनाए रखती है। निर्गुंडी तेल अक्सर घाव भरने में भी मदद करता हैं , आपको करना बस इतना है – 2 से 3 बूंद निर्गुंडी तेल कॉटन पर लेकर प्रभावित हिस्से पर लगाना है। इसे 10 से 15 मिनट तक लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। ये तरीका अल्सर और घाव भरने में कमाल करता है। और अगर आप इसे नहाने से पहले दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल करेंगे, तो दर्द और सूजन दोनों से राहत मिलेगी।
- अब आती हैं निर्गुंडी की पत्तियाँ। अगर आपको बार-बार सिरदर्द होता है, तो इसकी सूखी पत्तियाँ जलाकर उसका धुआँ सूँघिए। तुरंत राहत मिलेगी और सिर हल्का लगने लगेगा। ये हर तरह के सरदर्द में फायदेमंद हो सकता है |
- निर्गुंडी की ताज़ी पत्तियाँ लेकर पेस्ट बना लीजिए और हल्का-सा गर्म कर लीजिए। इस पेस्ट को जहाँ दर्द हो, उस जगह पर लगाएँ। चाहे सिरदर्द हो या मांसपेशियों का दर्द – आपको आराम ज़रूर मिलेगा। 10 से 20 ml निर्गुंडी की पत्तियों का रस, खाना खाने के बाद दिन में दो बार लें। ये खाँसी और सांस से जुड़ी परेशानियों में बहुत फायदेमंद है।
- 3 से 6 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इसे रोज़ाना लेने से गठिया, सूजन और जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है। अगर आपको आसान तरीका चाहिए तो कैप्सूल लीजिए। 1 कैप्सूल दिन में दो बार, खाना खाने के बाद लें। इससे शरीर के किसी भी general pain में आराम मिलता है। बस एक बात का ध्यान रखें – हमेशा इसे सही मात्रा में और डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से ही लें।
- निर्गुंडी सिर्फ एक औषधि नहीं, बल्कि वात, पित्त aur कफ – तीनों दोषों को संतुलित करने वाली प्राकृतिक शक्ति है। अगर इसे नियमित और सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो ये आपके शरीर को अंदर और बाहर दोनों तरफ से मज़बूत बना सकती है।
- कई बार शरीर छोटी-छोटी चीज़ों पर भी react करने लगता है – जैसे धूल, मौसम का बदलना या कोई particular food। इसे हम allergic reactions कहते हैं। Modern science के हिसाब से निर्गुंडी में anti-allergic properties होती हैं। ये शरीर में उन chemicals की release को रोकती है जो allergy पैदा करते हैं। साथ ही, ये immune response को भी strong बनाती है। यानी अगर आपको बार-बार allergy की problem होती है, तो निर्गुंडी आपकी natural shield बन सकती है।
- Modern research के अनुसार, निर्गुंडी में ऐसे antioxidants होते हैं जो free radicals से लड़ते हैं और liver cells को damage होने से बचाते हैं। यानी ये आपके liver को detoxify और protect करने में मददगार है।
- अक्सर लोगों के कुछ सवाल होते हैं जैसे …किसी भी जड़ी बूटी का असर डायबिटीज पर ….खासकर type 2 diabetes जो आजकल काफी common हो गई है , … अब अगर निर्गुन्डी के डायबिटीज मे फायदेमंद होने पर बात करें तो जवाब है …जी हाँ, modern science के अनुसार Nirgundi diabetes में मददगार हो सकती है। इसमें मौजूद antioxidant property की वजह से ये blood glucose level को control करने और insulin levels को improve करने में मदद करती है। यानी ये herb sugar levels को naturally balance करने में support करती है।
- आयुर्वेद के अनुसार diabetes तब होती है जब शरीर में वात aur कफ दोष असंतुलित हो जाते हैं। इसका सीधा असर pancreas पर पड़ता है और insulin secretion disturb हो जाता है। Nirgundi इस imbalance को ठीक करने में मदद करती है। इसके कड़वा, तीखा और वात-कफ balancing गुण insulin secretion को promote करते हैं। इस तरह ये diabetes management में natural support देती है।
- अब अगला सवाल है क्या ये बुखार को भी कम करने में मदद कर सकती है हाँ, Nirgundi अपनी antipyretic activity की वजह से बुखार कम करने में help करती है| इसके कुछ active components body का temperature कम करने में help करते हैं।
- Nirgundi memory loss से deal करे में भी beneficial है क्योंकि इसमें antioxidant property होती है। ये free radicals से fight करती है, cell damage को रोकती है और dimaag की memory improve करती है।
- Ayurveda के अनुसार, memory loss अक्सर वात दोष के imbalance की wajah से होता है। Nirgundi अपने वात balancing और brain tonic गुणों की वजह से memory loss होने से बचाती है, recovery में help करती है और आगे होने वाले damage को prevent करती है।
- यहाँ तक की Nirgundi HIV के risk को भी कम करने में help करती है। इसमें कुछ ऐसे constituents होते हैं जिनमें anti-HIV और antiviral properties होती हैं जो virus की growth को रोकने में मदद करते हैं।
- Nirgundi का इस्तेमाल सांप के काटने में भी किया जाता है …ये antibodies के production को stimulate करती है जो सांप के ज़हर यानि venom के against immunity strong बनाते हैं और उसके toxic effects से बचाते हैं।
तो ये थी जानकारी एक और शक्तिशाली आयुर्वेदिक जडीबुटी वाले पौधे पर, जो हमारे देश की धरोहर में से एक है तो इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की निगरानी में करें और healthy रहने में इसका फायदा उठाएं।